Saturday, September 8, 2018

World Literacy Day - विश्व साक्षरता दिवस

विश्व साक्षरता दिवस (World Literacy Day)
या अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस (International Literacy Day)

           बिना सूरज के पूरी दुनिया में अँधेरा होता है ठीक उसी तरह इतिहास इस बात का साक्षी रहा है कि जिस देश और सभ्यता ने ज्ञान को अपनाया है उसका विकास अभूतपूर्व गति से हुआ है। शिक्षा के महत्व का वर्णन करना शब्दों में बेहद मुश्किल है और शायद इसीलिए हर साल 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवसमनाया जाता है।

कब और क्यों 
          यूनेस्को द्वारा 7 नवंबर 1965 को ये फैसला लिया गया कि अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस हर वर्ष 8 सितंबर को मनाया जायेगा और इसकी शुरुआत 8 सितम्बर 1966 से की गयी थी।
8 सितम्बर अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस (International Literacy Day) राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है।
इस दिन को मनाने के पीछे सबसे बड़ा उद्देश्य यह है कि समाज के सभी वर्ग के लोगों, तबको तक शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया जाए। जिससे साक्षरता के महत्तव को हर एक इंसान समझ सके और अपने जीवन में शिक्षा को शामिल कर सके। साथ ही इस दिवस के पीछे एक और महत्वपूर्ण तथ्य है की साक्षरता दिवस में नव साक्षरों को उत्साहित किया जा सके है।

उद्देश्य 
           अन्तर्राष्ट्रीय/विश्व साक्षरता दिवस मानव समुदाय के लिए अहम दिवस है, क्योंकि हमारे जीवन में शिक्षा का होना अत्यंत आवश्यक है, बिना शिक्षा व साक्षरता के इंसान की कोई पहचान नहीं है। इसका केंद्रीय उद्देश्य व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामाजिक रूप से साक्षरता के महत्व पर प्रकाश डालना है
इसके प्रमुख उद्देश्य हैं -
1. विश्व के अंतिम व्यक्ति तक शिक्षा की पहुंच बनाना।
2. साक्षरता के प्रति आम जनता की जिम्मेदारी तय  करना।
3. स्थानीय और केंद्रीय शासन की प्रतिबद्धता निश्चित करना।
4. विश्व के हर एक समुदाय और राज्य को साक्षरता से जोड़ना।
5. महिला एवं पुरुषों में शिक्षा के प्रति सामान उपयोगिता निर्धारित करना।
       आदि कुछ प्रमुख बिंदु हैं मगर इसके अलावा साक्षरता दिवस मनाने के बहुत व्यापक उद्देश्य हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष ही प्रत्येक व्यक्ति से जुड़ा हुआ है।

इतिहास
          विश्व के प्रत्येक देश व राज्य में व्यक्ति, समाज और समुदाय के लिये साक्षरता के बड़े महत्व पर ध्यान आकर्षित करने के लिए साक्षरता दिवस मनाना शुरु किया गया था। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानव समुदाय के लिये वयस्क शिक्षा और साक्षरता की दर को बढ़ाने के लिये इस दिन को खासतौर पर मनाया जाता है।
शिक्षा पर वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार ये बात सामने आयी की पूरी दुनिया में लगभग 77. 5 करोड़ युवा साक्षरता की कमी से प्रभावित हैं, अर्थात युवा अभी तक साक्षर नहीं है और इनमें से दो तिहाई महिलायें हैं। तात्पर्य है की प्रत्येक 5 में से 1 पुरुष और कुल आबादी की 2/3 महिलाएँ अनपढ़ हैं। उनमें से कुछ के पास साक्षरता होते हुए भी कौशल का स्तर निम्न है, इसके अलावा 6.7 करोड़ बच्चे विद्यालयों तक नहीं पहुँचते और जो स्कूल आ जाते हैं उनमे से  कुछ बच्चे स्कूलों में अनियमित रहते हैं।
वयस्क साक्षरता 60 % की सबसे कम दर के साथ दक्षिण और पश्चिम एशिया का नाम बदनाम है। इनमे से बुरकिना फासो, माली और नाइजर ऐसे देश हैं जहाँ सबसे कम साक्षरता दर है।

अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस क्यों मनाया जाता है?
          जिस तरह जीवन जीने के लिए रोटी, कपडा और मकान आवश्यक है वैसे ही जीवन के आनंद के साथ सफलता और संस्कार लिए साक्षरता भी महत्वपूर्णं है। मानव समाज और उसके विकास के लिये, उनके अधिकारों को जानने और साक्षरता की ओर मानव चेतना को बढ़ावा देने के लिये अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस
मनाया जाता है। इससे समाज के और अन्य मुद्दे जैसे - गरीबी, बाल मृत्यु दर, मातृ मृत्युदर, जनसँख्या वृद्धि,  बेरोजगारी, आतंकवाद, नक्सलवाद, रूढ़िवादिता, कृषि उत्पादकता, धार्मिक - सांस्कृतिक अज्ञानता, लैंगिक असमानता, मानवता , नैतिकता आदि से जुडी हुई समस्या कही न कहीं शिक्षा से निश्चित रूप से जुड़े हुए हैं।साक्षरता में वो क्षमता है जो परिवार और देश की प्रतिष्ठा एवं उपलब्धि को बढ़ा देता है।
यह विशेष दिवस लोगों को बढ़ावा देता है जिससे लगातार शिक्षा को प्राप्त करने और परिवार, समाज तथा देश के लिये अपनी जिम्मेदारी को समझने के लिये हर एक आम जनता समर्पित हो सके है।

अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के विषय
           लगभग सभी देशों में पूरे विश्व की निरक्षरता से संबंधित समस्याओं को सुलझाने के लिये साक्षरता दिवस को प्रभावशाली तरीके से मनाने के लिये कुछ  योजनाओं के कार्यान्वयन के साथ - साथ हर वर्ष एक खास विषय पर अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस उत्सव मनाया जाता है। कुछ वर्षों के विषय निम्न प्रकार से हैं -

  1. 2006 -  “साक्षरता सतत विकास” ।
  2. 2007 तथा 2008 - “साक्षरता और स्वास्थ्य” (महामारी एचआईवी, टीबी और मलेरिया आदि जैसी फैलने वाली बीमारी और साक्षरता पर ध्यान देने के लिये )।
  3. 2009-10 - “साक्षरता और सशक्तिकरण” (लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण लिये)।
  4. 2011-12 - “साक्षरता और शांति” ( शांति के लिये साक्षरता के महत्व पर ध्यान देना )।
  5. 2013 - “21वीं सदी के लिये साक्षरता” (वैश्विक साक्षरता को बढ़ावा देने के लिये)।
  6. 2014 - “साक्षरता और सतत विकास” (पर्यावरणीय एकीकरण, आर्थिक वृद्धि और सामाजिक विकास के क्षेत्र में सतत विकास)।
  7. 2015 - "साक्षरता एवं सतत सोसायटी"।
  8. 2016 - "Reading the Past, Writing the Future (अतीत को पढ़ना, भविष्य लिखना)"। 
  9. 2017 - "Literacy in a digital world (एक डिजिटल दुनिया में साक्षरता)"। 
  10. 2018 - "Literacy and skills development (साक्षरता और कौशल विकास )"।
निष्कर्ष 
          साक्षरता का तात्पर्य सिर्फ़ पढ़ना-लिखना ही नहीं बल्कि यह सम्मान, अवसर और विकास से जुड़ा विषय है। दुनिया में शिक्षा और ज्ञान बेहतर जीवन जीने के लिए ज़रूरी माध्यम है। आज निरक्षरता देश की तरक़्क़ी में बहुत बड़ी बाधा है। जिसके अभिशाप से ग़रीब और ग़रीब होता जा रहा है।
           इस दिन को एक कार्यक्रम के रूप में मनाना पर्याप्त नही हैं।  स्थानीय, निकायी और राष्ट्रिय सरकारों को भी साक्षरता दर में बढ़ोतरी हेतु सकारात्मक कदम और योजनाएं बनानी होगी। पुरे विश्व के लिए भारत में चलायी जा रही सर्व शिक्षा अभियान इस दिशा में उत्कृष्ट उदाहरण हो सकता हैं।
           अक्सर प्राथमिक या उच्च प्राथमिक स्तर तक आते आते लड़कियों को स्कुल भेजना बंद कर दिया जाता हैं।  समाज में लड़कियों के प्रति यह सोच चिंता का विषय है। दूसरी तरफ 6 से 14 वर्ष की आयु के 8 करोड़ ऐसे बच्चे हैं जो शिक्षा से पूर्ण रूप से कटे हुए हैं, या तो वे बाल मजदूरी करते है अथवा उन्हें घर के काम में ही लगा दिया जाता है। इनके लिए भी सामाजिक जागरूकता लानी होगी।

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