Sunday, August 19, 2018

धुआं विरोधी बंदूक Anti Smog Gun

एंटी स्मॉग गन (Anti Smog Gun) या धुआं विरोधी बंदूक




                     वाहनों एवं कारखानों के धुंए की वजह से हवा में बहुत सारे अवांछित कण मिल जाते है और हवा में प्रदुषण के साथ-साथ धुंध एवं कोहरे की स्थिति बन जाती है जिससे साँस लेने में समस्या होती है , अम्लीय वर्षा का खतरा बढ़ जाता है जनजीवन अस्त व्यस्त हो जाता है साथ ही साथ यातायात भी बहुत ज्यादा प्रभावित होती है दृश्यता भी कम हो जाती है क्योकि हम सही तरह से देख भी नहीं पाते है।
                        पिछले कुछ समय से बहुत सारे शहरों में ऐसे हालात बनते रहे हैं। पिछले ठंड  में दिल्ली  में ऐसे ही समस्या से हम सब वाकिफ हुए हैं।  Anti Smog Gun ऐसे ही वातावरणीय समस्या से निपटने का एक उपाय है हालांकि यह ज्यादा कारगर तरीका नहीं है। यदि हमें ऐसे समस्या से स्थायी तौर पर निपटना है तो हमें अपने पर्यावरण का ध्यान रखना चाहिए। द इंडियन एक्सप्रेस के द्वारा कहा गया कि यह तकनीक चाइनीस वाटर कैनन पर आधारित है।
  धुआँ विरोधी बन्दुक या Anti Smog Gun एक ऐसा उपकरण है ,एक ऐसी गन है जिसमें पानी की छोटी-छोटी फुहारें निकलकर वातावरण में मिल जाती हैं और वातावरण में उपस्थित धुएं के कणों से मिलकर उनको वजनी बनाकर वायुमंडल से या वातावरण से नीचे जमीन की सतह पर गिरा देती है या बैठा देती  है जिससे वातावरण में धुआं , धुंध या कोहरा या इस प्रकार के प्रदूषण की मात्रा कम हो जातीं हैं इस गन में मुख्य रूप से बहुत ज्यादा मात्रा में पानी का उपयोग किया जाता है।  इसमे पानी की टैंकरों को एक पंप की सहायता से Anti Smog Gun से जोड़ दिया जाता है और इसके नली में लगे पंखों की सहायता से वायुमंडल  में छोड़ा जाता है जो की हवा में 50 मीटर की ऊंचाई तक छोटे-छोटे बूंदों के रूप में पहुंच जाता है और वहां  उपस्थित प्रदूषक कणों या भारी कणों से मिलकर सतह तक ले आती हैं। यह गन वातावरण में उपस्थित 2.5 PM लेवल के प्रदूषण को जमीन में नीचे बिठाने का कार्य करता है। इस गन की कीमत लगभग 20 लाख  रुपए है। भारत में इस एंटी स्मॉग गन का उपयोग सर्वप्रथम दिल्ली में 18 दिसंबर 2017 को दिल्ली के सचिवालय में टेस्टिंग के साथ की गई फिर मंगलवार 19 दिसंबर 2017  को सबसे ज्यादा प्रदूषित इलाके आनंद विहार में इसका उपयोग किया गया इस मौके पर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन मौजूद रहे। 
                                                                             
  
जैसा कि आपको पता होगा कि ठंड के दिनों में दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है ,वहां पर धुंध या कोहरे की स्थिति बनी रहती है जिससे निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने स्मॉग गन का उपयोग किया परंतु यह प्रयास असफल रहा क्योंकि एंटी स्मॉग गन केवल 50 मीटर की ऊंचाई तक के प्रदूषण को कुछ हद तक साफ कर सकता है इसके अलावा इस उपकरण के उपयोग के लिए बहुत ज्यादा मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है जो कि व्यर्थ ही बह जाता है। दिल्ली में प्रदूषण स्तर को कम करने के लिए इस प्रकार की लगभग 50000 मशीनों की आवश्यकता है जिससे पूरी दिल्ली को साफ किया जा सकेगा क्योंकि दिल्ली का क्षेत्रफल 1484 वर्ग किलोमीटर है और इतनी सारी मशीनों को खरीदना और उसके रखरखाव और इस मशीन के माध्यम से वातावरण को साफ करने के लिए पानी की व्यवस्था उपलब्ध कराना भी लगभग असंभव है इस कारण से यह तकनीक दिल्ली के प्रदूषण को खत्म करने के लिए असफल रही। यह मशीन केवल PM 2.5 स्तर से PM 10 स्तर तक के कणों के लिए ही कारगर है और इसका असर तब तक रहता है जब तक कि पानी की बूंदे वातावरण में या सतह पर उपस्थित रहे।  जब पानी की बूंदे वाष्प बनकर वातावरण में चली जाती हैं तो जो प्रदूषक कण जमीन की सतह में नीचे बैठे होते हैं  पुनः वातावरण में शामिल हो जाते हैं और वायुमंडल प्रदूषण फिर से वापस पुराने स्तर पर पहुंच जाता है।   Anti Smog Gun से थोड़ी बहुत संभावना में प्रदूषण कम किया जा सकता है लेकिन प्रदूषण से पूरी तरीके से निजात पाना इस उपकरण के माध्यम से संभव नहीं है।  




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