संख्या के प्रकार (Types
of Numbers in Hindi)
नीचे प्रमुख प्रकारों का
विवरण दिया गया है :-
1. प्राकृतिक संख्याएँ (Natural
Numbers – N) –
जिन संख्याओं से सभ्यता के प्रारंभ में गणन कार्य की शुरुआत हुई थी उन सबको प्राकृतिक
संख्याएँ कहते हैं । वे संख्याएँ हैं
जिनसे गिनती की जाती है। इनका उपयोग विभिन्न वस्तुओं की गिनती में किया जाता है । जो
संख्याएँ 1 से
शुरू होती हैं और अनंत तक जाती हैं । इनको N से दर्शाया जाता है ।
उदाहरण:- 1, 2, 3, 4, 5, ...से अनंत तक
प्राकृतिक संख्याओं की विशेषताएँ
:-
1).
प्राकृतिक संख्याएँ 1 से शुरू होती हैं ।
2). प्राकृतिक
संख्याएँ अनंत तक जाती हैं।
3). प्राकृतिक संख्याएँ
इनमें 0 शामिल नहीं होता ।
4). सबसे छोटी प्राकृतिक
संख्या 1 से है ।
2. पूर्ण संख्याएँ
(Whole Numbers - W)
जिन संख्याओं से गणन कार्य को पूर्णता की शुरुआत हुई थी उन सबको पूर्ण
संख्याएँ (whole number) कहते हैं । वे
संख्याएँ हैं जिनसे गिनती की जाती है। इनका उपयोग विभिन्न वस्तुओं की गिनती में
किया जाता है । जो संख्याएँ 0 से शुरू होती हैं और अनंत तक जाती हैं । इनको
W से दर्शाया जाता है ।
उदाहरण :- 0, 1, 2, 3, 4, ...
इस प्रकार हम देख सकते
हैं कि जब प्राकृतिक संख्याओं में 0 को शामिल कर लिया जाता है, तो उन्हें पूर्ण संख्याएँ (whole number) कहते हैं।
विशेषताएँ :-
1). पूर्ण संख्याएँ की
शुरुआत 0 से होती है ।
2). सबसे छोटी पूर्ण
संख्या 0 होती है ।
3). पूर्ण संख्याएँ
ऋणात्मक संख्याएँ नहीं होतीं ।
4). पूर्ण संख्याओं
का उपयोग भी गिनती और गणना में किया जाता है ।
3. पूर्णांक संख्याएँ (Integers
- ℤ)
जब मनुष्य गिनती और गणित के कार्य में ज्यादा से ज्यादा संख्याओं का प्रयोग
करने लगे और उनके जोड़ना, घटाना, गुणा, भाग और अन्य संक्रिया करना सीख गए तब अलग
अलग प्रकार के संख्या प्राप्त होने लगे जैसे की धनात्मक, ऋणात्मक और शून्य संख्याएं इन्हीं संख्याओं को मिलाकर
पूर्णांक संख्या ( INTEGERS ) कहा जाता है । इनको Z से दर्शायाजाता है ।
उदाहरण :- ..., -3, -2, -1, 0, 1, 2, 3,
...
इस प्रकार कह सकते हैं
कि जब पूर्ण संख्याओं में धनात्मक, ऋणात्मक और शून्य सभी प्रकार की संख्याएँ शामिल होती हैं।
विशेषताएँ :-
1). पूर्णांक
संख्या में 0 और सभी
प्राकृतिक संख्याएँ और उनके ऋणात्मक रूप शामिल होते हैं ।
2). पूर्णांक संख्या गणितीय
समीकरणों में उपयोगी होती हैं ।
4. परिमेय संख्याएँ (Rational
Numbers - ℚ)
पूर्णांक संख्या के प्रयोग से परिमेय संख्या (Rational number) का निर्माण होता है । परिमेय
संख्या (Rational
number) वह संख्या होती है जिसे
p/q
के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ p और q पूर्णांक हैं और q, 0 के बराबर नहीं है। दूसरे शब्दों में, यह एक ऐसी संख्या है जिसे दो पूर्णांकों के अनुपात के रूप
में लिखा जा सकता है । इनको Q से दर्शाया जाता है ।
उदाहरण के लिए :- 1/2,
3/4, -5/2, 7/4,
0/1, 11/3 आदि सभी परिमेय संख्याएँ हैं ।
इसके अलावा यह भी सत्य है कि किसी भी पूर्णांक को भी परिमेय संख्या माना जाता
है,
क्योंकि इसे 1 के हर के साथ लिखा जा सकता है, जैसे 3 = 3/1, 10 = 10/1
परिमेय संख्याओं को दशमलव रूप में भी व्यक्त किया जा सकता है, जो या तो समाप्त हो जाता है
जैसे :- 0.75, 1.25, 2.35, 4.689
या फिर अंकों का एक क्रम बार-बार दोहराता है
जैसे :- 0.333....
, .6666........,
2.1666........
संक्षेप में, परिमेय संख्याएँ वे संख्याएँ हैं जिन्हें भिन्न (p/q) के
रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहाँ हर शून्य नहीं होता है । p/q, जहाँ p और q पूर्णांक हों और q ≠ 0 हो ।
परिमेय संख्याओं को कहीं
कहीं पर ह्रास योग्य संख्याएँ भी कहा जाता है ।
विशेषताएँ :-
1). p/q, जहाँ p और q पूर्णांक हों और q का मान 0 नहीं होता
2). इनका दशमलव रूप
दोहरावदार या समाप्त होने वाला होता है।
3). पूर्णांक से भिन्न के रूप में सरलता से व्यक्त की जा
सकती हैं।
5. अपरिमेय संख्याएँ (Irrational
Numbers - ℚᶜ)
जैसे के नाम से स्पष्ट होता है कि अपरिमेय संख्याएँ, परिमेय संख्याओं का विलोम
होता है, अर्थात वे संख्याएँ जिन्हें p/q रूप में नहीं लिखा जा सकता है, और न ही पूर्णांक के रूप में
। अपरिमेय संख्याओं को Qc के रूप में लिखा जाता है ।
यदि इनका कोई दशमलव रूप होता है तो वह भी आवर्ती होता है और न समाप्त होने
वाला ।
उदाहरण :- √2, √3, √5, π(पाई), 3.14, e
(स्थिरांक)........आदि
विशेषताएँ :-
1). अपरिमेय संख्याओं को
p/q
रूप में नहीं लिखा जा सकता है ।
2).
इनका दशमलव रूप न समाप्त होता है, न दोहरावदार होता है।
3). गणित के उच्च अध्ययन
में उपयोगी होती हैं ।
6. वास्तविक संख्याएँ (Real
Numbers - ℝ) -
वे सभी संख्याओं का समूह जिसमें सभी परिमेय संख्याओं और
अपरिमेय संख्याओं को शामिल किया जाता है उन्हें वास्तविक संख्याएँ (real number )
कहते हैं । इन्हें R से दर्शाया जाता है ।
इस प्रकार कह सकते हैं
कि वास्तविक संख्याओं में पूर्णांक, दशमलव, भिन्न आदि सब शामिल होते हैं ।
उदाहरण : -12,-5,-1, 0, 0.333....., 1.5, √2, π........आदि ।
विशेषताएँ :-
1). वास्तविक
संख्याएँ पूर्णांक, दशमलव, भिन्न
आदि से मिलकर बनता है ।
2). ये सभी दशमलव
संख्याओं को समाहित करती हैं ।
3). वास्तविक संख्याएँ भौतिक
माप और गणितीय विश्लेषण में उपयोगी हैं ।
7. दशमलव संख्याएँ (Decimal
Numbers) -
ऐसे संख्याएँ जो पूर्णांक नहीं होते बल्कि जिनमें एक दशमलव बिंदु होता है, जो पूर्ण संख्या और भिन्नात्मक भाग को अलग करता है । इन्हें
"दशमलव" या "दशमलव भिन्न" भी कहा जाता है ।
उदाहरण के लिए :- 0.166....., 3.14, 2.5, और 0.5, 1.25.......... आदि सभी दशमलव संख्याएँ हैं ।
विस्तार से:
दशमलव संख्याएँ एक पूर्ण
संख्या और एक भिन्नात्मक भाग को दर्शाती हैं । दशमलव संख्या में, एक दशमलव बिंदु (.), पूर्ण संख्या और भिन्नात्मक भाग को अलग करता है । दशमलव
बिंदु के बाईं ओर की संख्या पूर्ण संख्या होती है, और दाईं ओर की संख्या भिन्नात्मक भाग होती है, जो एक से कम होती है।
उदाहरण के लिए :-
2.25 में, 2 पूर्ण संख्या है, और 0.25 भिन्नात्मक भाग है। इसी तरह, 7.5 में,
7 पूर्ण संख्या है, और 0.5 भिन्नात्मक भाग है।
दशमलव संख्याओं का उपयोग
अधिक सटीकता के लिए किया जाता है, जैसे कि माप या गणना में ।
दशमलव संख्याओं को
भिन्नों के रूप में भी व्यक्त किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए :- 0.5 को 1/2
के रूप में लिखा जा सकता है, और
0.75 को 3/4 के रूप में लिखा जा सकता है।
दशमलव संख्या में
प्रत्येक स्थान का एक स्थानीय मान होता है, जैसे कि दशांश, शतांश, सहस्रांश, आदि ।
8. परिमाण संख्याएँ (Cardinal
Numbers) -
उन सभी संख्याओं को परिमाण संख्याएँ कहा जाता है जिनका
उपयोग विभिन्न वस्तुओं के साथ किया जाता है, जैसे की - 5 सेब, 10 विद्यार्थी, 14 किलोमीटर ।
कार्डिनल नंबर, गिनती की संख्याएँ होती हैं जो किसी वस्तु या वस्तुओं के
समूह की मात्रा को दर्शाती हैं। दूसरे शब्दों में, ये संख्याएँ किसी प्रश्न में "कितने" हैं का
उत्तर दर्शाते हैं ।
उदाहरण के लिए, यदि आपके पास 5 पेंसिलें हैं, तो "5" एक कार्डिनल संख्या है जो यह दर्शाती है
कि आपके पास कितनी पेंसिलें हैं ।
कार्डिनल संख्याओं को
"प्राकृतिक संख्याएँ" या "गिनती संख्याएँ" भी कहा जाता है ।
9. क्रम संख्या (Ordinal Numbers)-
क्रमसूचक संख्या (Ordinal
number) वह संख्या होती है जो
किसी वस्तु की क्रम में स्थिति दर्शाती है । अर्थात् किसी विशेष प्रक्रिया अथवा
अवस्था में किसी वस्तु, व्यक्ति की स्थिति का स्थान बताती है, जैसे "पहला", "दूसरा", "तीसरा" आदि ।
उदाहरण :-
पहला (First): किसी परीक्षा में सबसे आगे आने वाला ।
दूसरा (Second): परीक्षा में दूसरे स्थान पर आने वाला ।
तीसरा (Third):परीक्षा में तीसरे स्थान पर आने वाला ।
दसवां (Tenth):किसी लाइन में दसवें स्थान पर ।
चौदहवीं मंजिल (Fourteenth
floor): एक इमारत में चौदहवीं
मंजिल ।
इस प्रकार क्रमसूचक
संख्याएँ वस्तुओं को क्रम में रखने, तारीखें बताने, या किसी इमारत की मंजिल बताने जैसे कार्यों में उपयोग होती
हैं।
विशेषताएँ :-
1). स्थान
या रैंकिंग को दिखाने के लिए उपयोग होती हैं।
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