तितली तूफान है क्या?
बंगाल की खाड़ी में पैदा हुआ तितली तूफान गुरुवार सवेरे ओडिशा और आँध्रप्रदेश के तटीय क्षेत्रों में भारी बारिश करने के बाद आगे बढ़ रहा है इसकी रफ़्तार 126 किमी / घंटे है। जो की 165 किमी/घंटे का रूप भी ले सकता है। दोनों राज्यों के तटीय इलाकों में तूफान के कारण भारी बारिश और भूस्खलन की ख़बरें आ रही हैं। तूफान के कारण कच्चे घर, पेड़ और बिजली के खंभे आदि गिरने से कई जगहों में सड़क मार्ग अवरुद्ध हो गया है। रेल सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं।
इसका नाम 'तितली' क्यों पड़ा ?
लोगों के मन में एक सवाल उठ रहा है कि जब यह तूफान इतना भयावह रूप ले चुका है तो इसका नाम 'तितली' क्यों रखा गया है ? जबकि तितली तो इतनी नाजुक सी होती है। आइए हम आपको बताते हैं कि कैसे होता है इन तूफानों का नामकरण और क्या है नामकरण की प्रक्रिया...
1. बंगाल की खाड़ी
से उठे तूफान का नाम 'तितली' रखा गया है। यह नाम पाकिस्तान ने दिया
है।
किसी भी तूफान को
नाम इसलिए दिया जाता है की आम लोगों और
वैज्ञानिकों में इसे
लेकर कोई ग़लतफ़हमी और असमंजस न
बना रहे।
2 . बंगाल की खाड़ी से शुरू हुआ तूफान तितली (Titli Toofan या Titli Cyclone )उत्तर-पश्चिम की तरफ लगातार बढ़ रहा है। ओडिशा के बाद ज्यादा खतरा आँध्रप्रदेश के तटवर्ती इलाकों पर है।
3 . तूफानों के नाम तय करने हेतु दुनिया भर में
5 कमेटियां बानी हुई हैं।
इन कमेटियों के
नाम हैं:
(1) Escape Typhoon Committee
(2) Escape Panel of Tropical Cyclone
(3) RA -1 Tropical Cyclone Committee
(4) RA-4 Tropical Cyclone Committee
(5) RA-5 Tropical Cyclone Committee
4 . शुरुआत में World Weather Science Organisation (विश्व मौसम
विज्ञान संगठन) ने चक्रवातों
के नाम रखने
की पहल की जबकि भारत में
तूफानों का नाम
देने का चलन
2004 से शुरू हुआ था। हिंदमहासागर में आने वाले तूफानों का नाम इस क्षेत्र के 8 देश भारत, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाइलैंड रखते हैं। वर्ष 2000 से यह परंपरा शुरू हुई थी। साल 2004 में सभी देशों के बीच तूफानों के नाम रखे जाने को लेकर सहमित बनीं। भारत के साथ-साथ बाकि के 7 देशों ने भी तूफानों
का नाम देने
का फॉर्मूला तैयार
किया। इन 8 देशों
की ओर से
सुझाए गए नामों
के पहले अक्षर
के अनुसार उनका
क्रम तय किया
जाता है और
उसी क्रम के
अनुसार चक्रवातों के नाम
रखे जाते हैं.
5 . इन सभी आठ
देशों ने वर्ल्ड
मेट्रोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (World Meteorological
Organization WMO) को नामों की लिस्ट सौपी है। इस संगठन का मुख्यालय जेनेवा में है।
6 . हिंद क्षेत्र में तूफान आने पर WMO को दी गयी तूफानों के नाम की लिस्ट से बारी-बारी से नाम चुने जाते हैं। इसमें भारत ने 'अग्नि', 'बिजली', 'मेघ', सागर' और 'आकाश' जैसे नाम दिए वहीं, पाकिस्तान ने 'फानूस', 'लैला', 'वरदाह', 'निलोफर', 'बुलबुल' और 'तितली' के अलावा 2 और नाम दिए थे।
भारत
में 10 साल तक
एक नाम दोबारा प्रयोग नहीं
किया जाता। साथ
ही ज्यादा तबाही मचाने वाले
चक्रवातों के नाम
को निरस्त कर दिया जाता
है।
इस बार पाकिस्तान की
तरफ से भेजे
गए तूफान का
नाम चुना जाना
था। इसलिए भारत
में आए इस
तूफान को पाकिस्तान द्वारा भेजे गए नामों में से "तितली " Titli Cyclone नाम दिया गया
है।
इससे पहले पिछले साल मई में जो तूफान आया था 'ओखी' उसे बांग्लादेश की ओर से दिया गया था। इससे पहले 2013 में ओडिशा और आंध्र प्रदेश में 'फेलिन' तूफान कहर बरपा चुका है। इस साइक्लोन का नाम थाइलैंड की ओर से दिया गया था।
7 . अमेरिका
हर साल तूफानों
के 21 नामों की
सूची तैयार करता
है। हालांकि अंग्रेजी
के हर अल्फाबेट से एक
नाम रखा जाता
है, लेकिन Q,U,X,Y और
Z अल्फाबेट से
तूफान का नाम
रखने की परंपरा अमेरिका में नहीं है।अगर वहां एक साल में
21 से ज्यादा तूफान आएं तो
फिर उनका नाम
ग्रीक अल्फाबेट अल्फा, बीटा, गामा के नाम पर रख दिया
जाता है। इन
नामों में सम-विषम (Odd - Even) का
फॉर्मूला अपनाया जाता है। जैसे सम सालों
में चक्रवात का
नाम औरतों के
नाम पर रखा
जाता है, जबकि विषम सालों में
आए तूफान के
नाम पुरुषों पर
आधारित होते हैं। अर्थात ऑड
साल जैसे कि भविष्य के वर्ष 2019, 2021 और 2023 में आने
वाले तूफानों के
नाम औरतों के
नाम पर रखे
जाएंगे। वहीं ईवन
साल जैसे कि
2018, 2020 और 2022 में आने
वाले तूफानों के
नाम पुरुषों के
नाम पर आधारित
होंगे।
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