छत्तीसगढ़ के
सन्दर्भ में मौर्यकाल
Mauryan period in the context of Chhattisgarh in hindi
मौर्य साम्राज्य का उदय और विस्तार
§ मौर्य साम्राज्य (322 ई.पू.–185 ई.पू.) की स्थापना चन्द्रगुप्त मौर्य ने की थी।
§ इस साम्राज्य का सबसे महत्वपूर्ण शासक सम्राट अशोक महान (273–232 ई.पू.) था।
§ मौर्य साम्राज्य का विस्तार उत्तर में अफगानिस्तान से लेकर दक्षिण में कर्नाटक और पूर्व में बंगाल से पश्चिम में अफगानिस्तान तक फैला था।
§ छत्तीसगढ़ भी इस समय मौर्य साम्राज्य का हिस्सा बना।
छत्तीसगढ़ में मौर्यकालीन शासकीय प्रभाव
§ छत्तीसगढ़ क्षेत्र उस समय दक्षिणकोशल महाजनपद के अंतर्गत माना जाता था।
§ मौर्यकाल में इस क्षेत्र का प्रशासन उज्जैन और पाटलिपुत्र से नियंत्रित होता था।
§ अशोक ने अपने साम्राज्य को प्रभावी बनाने के लिए जगहजगह धर्म लेख (Edicts) खुदवाए।
अशोक के शिलालेख और छत्तीसगढ़
अशोक के शिलालेख मौर्यकालीन इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण
धरोहर हैं। इन शिलालेखों से मौर्य
साम्राज्य और तात्कालीन सामाजिक व्यवस्था की जानकारी प्राप्त होती है ।
छत्तीसगढ़ में भी अशोक के शिलालेख प्राप्त हुए हैं, जो इस क्षेत्र पर मौर्य शासन और बौद्ध धर्म के प्रभाव को दर्शाते हैं। कुछ उदहारण निम्नलिखित हैं -
ü छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के सोरहा और जशपुर जिले के पाण्डुपाणी में अशोक के शिलालेख मिले हैं। ये शिलालेख सम्राट अशोक के धम्म के प्रचार और शासन का प्रमाण हैं और राज्य के प्राचीन इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
ü यहाँ कुछ महत्वपूर्ण तथ्य दिए गए हैं:
• सोरहा (रायगढ़): यह स्थान रायगढ़ जिले में स्थित है। यहाँ से प्राप्त शिलालेख अशोक के धम्म (धर्म) के विस्तार को दर्शाते हैं।
• पाण्डुपाणी (जशपुर): जशपुर जिले में स्थित पाण्डुपाणी एक महत्वपूर्ण स्थल है जहाँ अशोक के शिलालेख पाए गए हैं।
• धम्म का प्रचार: उपरोक्त शिलालेख सम्राट अशोक द्वारा फैलाए गए धम्म के प्रचार के भौगोलिक विस्तार को दर्शाते हैं, जो उनके साम्राज्य की व्यापकता को प्रमाणित करता है।
ü ये शिलालेख छत्तीसगढ़ के पुरातात्विक और
ऐतिहासिक महत्व को बढ़ाते हैं और प्राचीन भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कड़ी
हैं।
ü अशोक के अन्य वृहद शिलालेख भारत के अनेक
राज्यों जैसे:- गुजरात, ओडिशा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश,
कर्नाटक आदि में पायें जाते है इसके अलावा पाकिस्तान
में भी पाए गए हैं।
ü लघु शिलालेख राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश,
बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में पाए
जाते हैं।
ü अमरकंटक (वर्तमान मध्यप्रदेश की सीमा पर, छत्तीसगढ़ से सटा क्षेत्र) → यहाँ भी मौर्यकालीन प्रभाव स्पष्ट है।
ü इन शिलालेखों में अशोक ने धम्म नीति (Dhamma Policy), अहिंसा, करुणा, सहिष्णुता और पशु हिंसा के विरोध की बात कही है।
बौद्ध धर्म का प्रसार
ü मौर्यकाल में छत्तीसगढ़ में बौद्ध धर्म का प्रभाव तेजी से बढ़ा।
ü माना जाता है कि अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचारप्रसार के लिए छत्तीसगढ़ के जंगलों और आदिवासी क्षेत्रों में भी भिक्षुओं को भेजा।
ü बस्तर और कोसल क्षेत्र में बौद्ध धर्म की परंपरा बाद के कालों में भी मिलती है।
मौर्यकालीन अर्थव्यवस्था
और छत्तीसगढ़
आर्थिक गतिविधि समाज
की दशा और दिशा निर्धारित करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। किसी भी काल में मनुष्य की समृद्धि का
निर्धारक होता आर्थिक क्रियाकलाप । मौर्यकालीन आर्थिक स्थिति को समझने के लिए कुछ
बिन्दु निम्न दर्शित हैं -
ü मौर्यकालीन शासन में छत्तीसगढ़ खनिज संपदा (लोहा, ताम्बा, सोना) का प्रमुख क्षेत्र रहा।
ü यहाँ के जंगलों से हाथीदांत, लकड़ी और औषधियाँ भी अन्य क्षेत्रों में भेजी जाती थीं।
ü छत्तीसगढ़ की भौगोलिक स्थिति (उत्तर से दक्षिण जुड़ने वाला मार्ग) व्यापार और सैनिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण थी।
मौर्यकालीन प्रशासन और
छत्तीसगढ़
मौर्यकालीन
क्षेत्रों में जिस प्रकार प्रशासन व्यवस्था रही है उसी से सामाजिक तौर पर भारतीय
समाज व्यवस्था की नींव पड़ी । इस प्रशासन
व्यवस्था की झलक छत्तीसगढ़ में भी दिखाई पड़ती है -
ü छत्तीसगढ़ में मौर्यकाल में जनपद और ग्राम स्तर पर प्रशासन चलता था।
ü स्थानीय मुखिया (जनपद प्रमुख/ग्राम प्रमुख) प्रशासन चलाते थे, जिन्हें मौर्य साम्राज्य की राजधानी से आदेश मिलते थे।
ü अशोक ने धर्म प्रचार के लिए धर्ममहामात्र नामक अधिकारी भी नियुक्त किए, जिनका प्रभाव छत्तीसगढ़ तक फैला हुआ था।
छत्तीसगढ़ में मौर्यकाल
के पुरातात्विक साक्ष्य
ü स्तूप और बौद्ध अवशेष – रायपुर संभाग, बिलासपुर संभाग और बस्तर संभाग क्षेत्र में ज्यादा साक्ष्य प्राप्त हुए हैं ।
ü प्राचीन व्यापार मार्ग – यह व्यापार मार्ग पाटलिपुत्र और उज्जैन से दक्षिण भारत की ओर जाता था जो कि छत्तीसगढ़ से होकर गुजरता था। इस प्रकार छत्तीसगढ़ मध्य व्यापारिक क्षेत्र के साथ मध्य व्यापारिक मार्ग भी था ।
मौर्यकालीन संस्कृति का
प्रभाव
ü छत्तीसगढ़ में आदिवासी जीवन पर मौर्यकाल का प्रभाव स्पष्ट दिखता है।
ü बौद्ध धर्म की शिक्षाएँ जैसे अहिंसा, दया और समानता आदिवासी समाज में भी धीरेधीरे समाहित हुईं।
ü कला और स्थापत्य की झलक छत्तीसगढ़ के कुछ प्राचीन अवशेषों में मिलती है।
मौर्यकाल में छत्तीसगढ़ का इतिहास राजनीतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा।
अशोक के शिलालेख इस क्षेत्र पर मौर्य शासन का सबसे बड़ा प्रमाण हैं।
छत्तीसगढ़ मौर्यकाल में धर्म (बौद्ध धर्म), अर्थव्यवस्था और प्रशासन का अहम केंद्र रहा, जो आगे चलकर गुप्तकाल और मध्यकालीन राज्यों के लिए भी नींव साबित हुआ।

No comments:
Post a Comment