Sunday, August 10, 2025

अभ्यास सूर्य किरण - Exercise Surya Kiran

 

अभ्यास सूर्य किरण (Exercise Surya Kiran)  

 


भूमिका

 

सामरिक रूप से संपन्न देश अपने मित्र देशों के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास करते हैं जिससे सैनिकों में विविधता आती है और युद्धकाल में दुश्मनों से निपटने के लिए जरुरी तकनीक सीखते हैं । सैन्य अभ्यास (Military Exercise) किसी भी देश की रक्षा प्रणाली का अभिन्न हिस्सा होते हैं। इस प्रकार से किए जाने वाले युद्ध अभ्यास न केवल सैनिकों की युद्ध क्षमता को बढ़ाते हैं, बल्कि मित्र राष्ट्रों के साथ सामरिक सहयोग और विश्वास को भी सुदृढ़ करते हैं।

इसी प्रकार का युद्ध अभ्यास भारत और नेपाल के बीच किया जाता है जिसे अभ्यास सूर्य किरण (Exercise Surya Kiran)  के नाम से जाना जाता है । भारत और नेपाल के बीच होने वाला यह एक्सरसाइज सूर्य किरण (Exercise Surya Kiran) एक द्विपक्षीय संयुक्त सैन्य अभ्यास है, जिसका उद्देश्य दोनों देशों की सेनाओं के बीच सहयोग को बढ़ाना और युद्ध अभ्यासों के माध्यम से सैन्य क्षमताओं को मजबूत करना है।

 

एक्सरसाइज सूर्य किरण (Exercise Surya Kiran)  क्या है ?

 

सूर्य किरण (Exercise Surya Kiran)  भारत और नेपाल के बीच द्विपक्षीय संयुक्त सैन्य अभ्यास (Bilateral Joint Military Exercise) है, जिसे वर्ष में एक बार आयोजित किया जाता है, जो कि बारी बारी एक बार भारत में और एक बार नेपाल में संपन्न होती है।

  यह अभ्यास भारत की भारतीय थल सेना (Indian Army) और नेपाल की नेपाल सेना (Nepalese Army) के बीच होता है।

यह अभ्यास 2011 से नियमित रूप से किया जा रहा है, और अब तक इसके कई संस्करण हो चुके हैं (जैसे सूर्य किरण (Exercise Surya Kiran) -XV, सूर्य किरण (Exercise Surya Kiran) -XVI, आदि)।

 

उद्देश्य (Objectives) :-

सूर्य किरण (Exercise Surya Kiran)  अभ्यास भारत और नेपाल के बीच एक द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास है, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करना है । यह अभ्यास 2011 से आयोजित किया जा रहा है और दोनों देशों में बारी-बारी से होता है ।

चूँकि नेपाल और भारत पड़ोसी देश हैं अत: इनकी प्राथमिकतायें लगभग एक जैसी हैं, इसलिए अभ्यास का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद-रोधी (CT) अभियानों में दोनों सेनाओं के बीच अंतर-संचालनीयता (interoperability) को बढ़ाना है, साथ ही जंगल युद्ध, पहाड़ी इलाकों में आतंकवाद विरोधी अभियानों, मानवीय सहायता और आपदा राहत कार्यों में भी सहयोग करना है ।

यह अभ्यास दोनों देशों की सेनाओं को एक साथ काम करने, तकनीकों को साझा करने, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और किसी भी संभावित खतरे या आपदा का प्रभावी ढंग से जवाब देने के लिए तैयार रहने में मदद करता है ।

इस अभ्यास के महत्वपूर्ण उद्देश्यों को निम्न बिन्दुओं से समझ सकते हैं -

1. सामरिक तालमेल बढ़ाना (Military Coordination) :-

   भारत और नेपाल की सेनाओं के बीच संभावित समस्या हेतु ऑपरेशनल और टैक्टिकल तालमेल को बेहतर बनाना।

2. जॉइंट ऑपरेशन ट्रेनिंग :-

संयुक्त रूप से लड़ने हेतु आतंकवाद विरोधी अभियान (Counter Insurgency Operations), जंगल युद्ध (Jungle Warfare), पर्वतीय युद्ध (Mountain Warfare) और शांति स्थापना मिशनों (UN Peacekeeping Operations) की संयुक्त ट्रेनिंग देना।

3. सीमावर्ती सहयोग :-

भारत-नेपाल सीमा पर किसी भी सामरिक और प्राकृतिक आपात स्थिति में संयुक्त प्रतिक्रिया देने की क्षमता का विकास करना ।

4. संरचना और रणनीति का आदान-प्रदान :-

अभ्यास सूर्य किरण और ऐसे ही विभिन्न प्रयासों से दोनों सेनाओं की रणनीतिक और तकनीकी क्षमताओं को  साझा करना ।

5. मित्रता और विश्वास :-

भारत और नेपाल हमेशा से ही मित्र देश रहे हैं जो कि पारस्परिक विश्वास का प्रतिक है और इस अभ्यास में  इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग के साथ-साथ द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करना शामिल है ।

 

प्रशिक्षण की मुख्य गतिविधियाँ :-

            सूर्य किरण (Exercise Surya Kiran)  अभ्यास में प्रशिक्षण हेतु बहुत सारे कार्यक्रम कराये जाते हैं, जिन्हें हम निम्न बिन्दुओं में समझ सकते हैं -

1. काउंटर टेररिज़्म ऑपरेशन (Counter Terrorism) :-

मुख्य रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंकवादियों की घेराबंदी, तलाशी अभियान, गुप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई जैसे अभ्यास करना ।

2. शहरी और जंगल युद्ध प्रशिक्षण (Urban & Jungle Warfare) :-

पारिस्थितिकी के अनुरूप संकरी गलियों, भवनों, और जंगलों में युद्ध संचालन की तकनीकों का अभ्यास करना ।

3. आपदा प्रबंधन (Disaster Management) :-

आने वाली प्राकृतिक आपदाओं से संयुक्त रूप से निपटना जैसे की भूकंप, बाढ़, या अन्य प्राकृतिक आपदाओं के समय त्वरित राहत और बचाव कार्य करना ।

4. हेलीकॉप्टर असॉल्ट और घायलों की निकासी (Heli-assault & Casualty Evacuation) :-

किसी भी विपत्ति में एक दुसरे देश के नागरिक तथा सैनिकों में से घायलों की निकासी, एयरलिफ्टिंग, और आपातकालीन सेवाओं हेतु प्रशिक्षण प्राप्त करना ।

5. हथियार और रणनीति का प्रदर्शन :-

   भारतीय और नेपाली सेनाओं द्वारा अपने हथियारों, उपकरणों और तकनीकों का प्रदर्शन करना ।

 

 

हालिया संस्करणों की जानकारी :-

            विगत कुछ वर्षों के हुए सूर्य किरण (Exercise Surya Kiran)  अभ्यास के संबंध में कुछ जानकारियां निचे प्रदर्शित हैं -

1. Exercise Surya Kiran-XV (2021) :-

v 15 वाँ संस्करण

v स्थान: पिथौरागढ़, उत्तराखंड (भारत)

v तिथि :-20 सितम्बर से 3 अक्टूबर 2021

v भागीदार :- 650 से अधिक सैनिक

v मुख्य उद्देश्य :- काउंटर-इंसर्जेंसी और जंगल युद्ध प्रशिक्षण।

 

2. Exercise Surya Kiran-XVI (2022) :-

v 16 वाँ संस्करण

v स्थान: नेपाल के सलझंडी प्रशिक्षण केंद्र में

v तिथि :- 16 दिसम्बर से 29 दिसम्बर 2022

v भागीदार :- 668 सैनिक (भारत 334 + नेपाल 334)

v मुख्य उद्देश्य :- मानवीय सहायता, आपदा राहत, और संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों की रणनीति।

 

3. Exercise Surya Kiran-XVII (2023) :-

v 17 वाँ संस्करण

v स्थान :- पिथौरागढ़, उत्तराखंड

v तिथि :- 24 नवम्बर से 7 दिसम्बर 2023

v भागीदार :- लगभग 600+

v मुख्य उद्देश्य :- नई तकनीकें शामिल ड्रोन, इलेक्ट्रॉनिक निगरानी, और सामरिक उपकरणों का प्रयोग।

 

4. Exercise Surya Kiran-XVIII (2024-25) :-

v 18 वाँ संस्करण

v स्थान: नेपाल के सलझंडी प्रशिक्षण केंद्र में (31 दिसंबर, 2024 से 13 जनवरी, 2025)

v भागीदार :- 668

v मुख्य उद्देश्य :-  जंगल युद्ध में अंतर-संचालनीयता को बढ़ाना, पहाड़ी इलाकों में आतंकवाद-रोधी अभियानों और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत मानवीय सहायता प्रदान करना था।  

 इस संस्करण में 334 सदस्यीय भारतीय सेना की एक टुकड़ी नेपाली सेना की एक टुकड़ी के साथ भाग लिया।

 

भारत और नेपाल के रक्षा संबंधों में सूर्य किरण (Exercise Surya Kiran)  का महत्व :-

            पड़ोसी देशों में विश्वास के साथ कुछ सीमाओं का सम्मान करना अति आवश्यक होता है, सूर्य किरण (Exercise Surya Kiran)  अभ्यास इसी प्रक्रिया में सैन्य रूप से महत्वपूर्ण स्थान रखता है, इसका एक व्यापक महत्व है जिसको हम निम्न प्रकार समझ सकते हैं -

1. भू-राजनीतिक दृष्टि से :-

   नेपाल, भारत का पड़ोसी और रणनीतिक साझेदार है। दोनों देशों के बीच खुली सीमा(अर्थात् बिना वीसा के आवागमन) की नीति है और हजारों नेपाली गोरखा सैनिक भारतीय सेना में कार्यरत हैं, यहाँ तक की इनके नाम से गोरखा रेजिमेंट भी संचालित है।

नेपाली लोगों को भारत में काम करने और सरकारी विभागों (कुछेक विभागों, राज्यों में ) में भी नियुक्ति की छुट है । इसलिए सूर्य किरण (Exercise Surya Kiran)  इस भू-राजनितिक विश्वास को बनाये रखने हेतु अत्यंत आवश्यक है ।

2. सामरिक हित :-

            भारत का उत्तरी सीमा एक प्रकार से हिमालय के द्वारा रक्षित है और इस क्षेत्र में नेपाल, भारत का एक विशेष सहयोगी है । नेपाल की भौगोलिक स्थिति भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है । इसलिए सैन्य अभ्यास जैसे सूर्य किरण (Exercise Surya Kiran) , सीमा सुरक्षा को मजबूती प्रदान करते हैं ।

3. जन-संपर्क और विश्वास :-

  सूर्य किरण (Exercise Surya Kiran)  केवल सैन्य अभ्यास नहीं, बल्कि जनसंपर्क और आपसी विश्वास को भी बढ़ावा देता है। इससे सैनिकों के बीच सांस्कृतिक समझ और सौहार्द भी मजबूत होता है ।

4. संयुक्त राष्ट्र मिशनों के लिए तैयारी :-

 भारत और नेपाल दोनों ही संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश हैं , इस प्रकार भारत और नेपाल दोनों देशों के सैनिक यूएन मिशनों में हिस्सा लेते हैं । सूर्य किरण (Exercise Surya Kiran)  उन्हें संयुक्त रूप से ऐसी स्थितियों में कार्य करने की तैयारी कराता है ।

 

 

भविष्य की संभावनाएँ :-

            बेहतर भविष्य और आपसी समझ को केन्द्र बिन्दु मानकर अभ्यास सूर्य किरण (Exercise Surya Kiran)  कुछ बेहतर संभावनाएं पैदा करती है -

1.  बदलते दौर के अनुरूप सूर्य किरण (Exercise Surya Kiran)  के आगामी संस्करणों में नई तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा, और स्वचालित ड्रोन आदि को शामिल करने की योजना है ।

2. अभ्यास सूर्य किरण (Exercise Surya Kiran)  को और अधिक व्यापक एवं इंटर-ऑपरेशनल बनाने के लिए त्रिपक्षीय या बहुपक्षीय रूपों में भी विस्तारित किया जा सकता है ।

 

 

निष्कर्ष :-

भारत और नेपाल स्वतंत्र देश हैं और अपनी संप्रभुता हेतु आपसी सहयोग करते आ रहे हैं , एक्सरसाइज सूर्य किरण (Exercise Surya Kiran)  भारत और नेपाल के बीच न केवल सैन्य सहयोग का प्रतीक है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामरिक रिश्तों को भी मजबूती देता है । यह अभ्यास सैनिकों को युद्ध की व्यावहारिक परिस्थितियों के लिए तैयार करता है और साथ ही दोनों देशों के बीच भरोसे और समन्वय को गहरा करता है । आने वाले समय में यह और अधिक तकनीकी रूप से परिष्कृत और सामरिक दृष्टि से उपयोगी बन सकता है ।

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