Wednesday, August 20, 2025

Chhattisgarh during Mahabharata period

 

महाभारत कालीन छत्तीसगढ़ Chhattisgarh during Mahabharata period

Mahabharat kal :- Facts about chhattisgarh 

ऊपर छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व वाले स्थलों का एक नक्शा है, जिसमें 400 ई.पू. से 18वीं शताब्दी तक के प्रमुख धरोहरों (Historic Heritage Sites) की स्थिति दर्शाई गई है। हालांकि यह सीधे महाभारतकाल से संबंधित नहीं है, यह हमें क्षेत्र की ऐतिहासिक गहराई का अंदाजा देता है।

 

छत्तीसगढ़ में महाभारत काल से जुड़े संभवतः प्रमुख साक्ष्य

 

छत्तीसगढ़ क्षेत्र में महाभारत काल से जुड़े प्रत्यक्ष पुरातात्विक प्रमाण सीमित हैं, लेकिन स्थानीय लोककथाएँ, वंशगाथाएँ और कुछ ऐतिहासिक संदर्भ इस महाकाव्य से सांस्कृतिक संबंध जताते हैं।

 

 1. भाषाई और राजवंशीय संबंध

 

 छत्तीसगढ़ का दक्षिणी भाग प्राचीन ग्रंथों में दक्षिण कोसल (Dakshina Kosala) के रूप में उल्लेखित है, जिसे महाभारत कालीन कोसल क्षेत्र से जोड़ा जाता है।

 पांडुवंशी वंश, जो छत्तीसगढ़ के दक्षिण कोसल क्षेत्र में 7वीं–8वीं शताब्दी ई. में शासन करता था, अपनी वंशावली में पांडवों से संबंध बताता है । इसी प्रकार, मेखला क्षेत्र के पांडुवंशी शासक भी इसी वंश से जुड़े रहे हैं ।

 

 2. लोककथाएँ एवं सांस्कृतिक यादें

 

 स्थानीय जनश्रुति में दंडकारण्य वनवासी कथाएँ और पांडवों की यात्राएँ जुड़ी हैं।

 लोकगीत आधारित पांडवानी छत्तीसगढ़ की पौराणिकशैक्षिक परंपरा में महाभारत की कथाओं को जीवित रखती है ।

 3. पुरातात्विक खोज

 

 अभी तक कोई प्रत्यक्ष महाभारत कालीन खोज (जैसे पेंटेड ग्रे वेयर, धातु औजार, अस्तित्व के प्रमाण) छत्तीसगढ़ में नहीं मिली है, हालाँकि आसपास के क्षेत्रों में इनमें से कुछ साक्ष्य पाए गए हैं ।

 

 4. सिरपुर (Sirpur) और नियमित बस्तियाँ

 

 सिरपुर (Sirpur) क्षेत्र, जो दक्षिण कौशल राज्य का प्राचीन राजधानी था, Gupta और Panduvamshi युग से पहले की बस्तियों के अवशेष देता है हालाँकि ये महाभारत से पहले और बाद की समयावधियाँ हैं, लेकिन क्षेत्रीय निरंतरता सिद्ध करते हैं ।

 

 

 

 सारांश तालिका

 

| श्रेणी                   | विवरण                                                                 |

|  |  |

| भाषाई व राजवंशीय संदर्भ  | पांडवों से संबंध बताने वाले पांडुवंशी वंश                             |

| लोककथाओं द्वारा संरक्षित | पांडवानी और दंडकारण्य कथाएँ                                           |

| पुरातात्विक प्रमाण       | प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं, पर भरे हुई बस्तियाँ और बाद के प्रश्न           |

| क्षेत्रीय निरंतरता       | Sirpur जैसे पुरातात्विक स्थल, क्षेत्रीय इतिहास और संस्कृति को जोड़ते। |

 

 

 

 निष्कर्ष

 

छत्तीसगढ़ में महाभारत काल से जुड़े प्रत्यक्ष ऐतिहासिक साक्ष्य सीमित हैंमगर भाषाई, राजवंशीय, लोककथात्मक और औपचारिक ऐतिहासिक दृष्टिकोण से यह क्षेत्र महाभारत के सांस्कृतिक प्रभाव में रहा है।

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