Tuesday, August 26, 2025

Important facts about Bauddh Dharm in hindi - बौद्ध धर्म

Important facts about Bauddh Dharm

बौद्ध धर्म 

Important facts about Bauddh Dharm

बौद्ध धर्म के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य हिंदी में -  बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्मं :- सामान्य जानकारी

·         संस्थापक - बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध थे जिन्हे एशिया का ज्योति पुंज कहते है।

·         जन्म - इनका जन्म नेपाल की तराई में स्थित ग्राम लुंबिनी( कपिलवस्तु गणराज्य) मे 563 ई. पू. मे वैशाख कृष्ण पूर्णिमा को हुआ था।

·         पिता - इनके पिता का नाम शुद्धोधन था जो कि शाक्यगण के मुखिया थे।

·         माता - उनकी माता का नाम जामाता या महामाया जो कि कोलिय गण की राजकुमारी थी ।

·         बचपन का नाम - गौतम बुद्ध का  बचपन का नाम सिद्धार्थ था ।

·         जन्म के सातवें दिन उनकी  माता का देहांत हो जाने से सिद्धार्थ का पालन पोषण उनकी मौसी प्रजापति गौतमी ने किया ।

·         16 वर्ष की अवस्था में सिद्धार्थ का विवाह यशोधरा से हुआ जिनका बौद्ध ग्रंथ में अन्य नाम बिम्बा, गोपा, भदकच्छना मिलता है।

·         सिद्धार्थ और यशोधरा के पुत्र का जन्म हुआ, जिसका नाम राहुल था ।

·         सांसारिक समस्याओं से व्यथित होकर सिद्धार्थ ने 29 वर्ष की अवस्था में गृह त्याग दिया इस त्याग को बौद्ध धर्म में "महाभिनिष्क्रमण" कहा गया है।

·         बुद्ध ने अपने जीवन में प्रथम उपदेश सारनाथ मे दिया तथा सर्वाधिक उपदेश कोशल देश की राजधानी 'श्रावस्ती' में दिया । उन्होंने मगध को अपना प्रचार केंद्र बनाया।

·         6 वर्ष की तपस्या के पश्चात् 35 वर्ष की उम्र में निरंजना नदी (फाल्गु नदी) के तट पर पीपल वृक्ष के नीचे, बोधगया में (महाबोधी) वैशाख पूर्णिमा के दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। 

·         जब उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई उसके पश्चात  उनका  "बुद्ध"  नाम पड़ा। 

·         गौतम बुद्ध द्वारा ज्ञान प्राप्ति के पश्चात पांच विद्यार्थियों को सारनाथ में जो प्रथम उपदेश दिया उसे "धर्म चक्र प्रवर्तन" कहा गया।

·         गौतम बुद्ध ने अपने उपदेश "पाली" भाषा में दिए।

·         बुद्ध के प्रसिद्ध अनुयाई शासको कि अगर हम बात करे तो उनमें बिंबिसार, प्रसेनजीत तथा उदयिन थे तथा उनके प्रधान शिष्य उपाली तथा आनंद थे ।

·         बौद्ध धर्म की प्रथम महिला भिक्षु बुद्ध की मौसी गौतमी थी।

·         बौद्ध संघ की स्थापना सारनाथ मे हुई थी ।

·         महात्मा बुद्ध अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में हिरण्यवती नदी के तट पर स्थित कुशीनगर (पूर्वी उत्तप्रदेश) नामक स्थान पर पहुंचे जहां 483 ई.पू. में 80 वर्ष की अवस्था में उनकी मृत्यु हो गई। इसे बुद्ध परंपरा में "महापरिनिर्वाण" के नाम से जाना जाता है ।

 

बौद्ध धर्म :- दर्शन एवं सिद्धांत

·         त्रिरत्न -बौद्ध धर्म में तीन प्राथमिक तत्व हैं जिन्हें एक बौद्ध साधक, बौद्ध धर्म के अनुयायी के रूप में अपने जीवन में अपनाता है और अपनी आध्यात्मिक यात्रा में इनकी शरण लेता है इन्हें ही त्रिरत्न कहा जाता है । बौद्ध धर्म के त्रिरत्न हैं –

v  बुद्ध

v  धर्म

v  संघ

 

·         चार आर्य सत्य - बुद्ध के उपदेशों में सबसे महत्वपूर्ण चार आर्य सत्य है जिनमें पूरे बौद्ध धर्म का सार निहित है।

1). दुख -  संसार में सर्वत्र दुख ही दुख है ।

2). दुख समुदाय - दुख उत्पन्न होने के अनेक कारण है जिनमें मूल कारण तृष्णा है।

3). दुख निरोध - दुख का निवारण संभव है इसके लिए तृष्णा का उन्मूलन आवश्यक है ।

4). दुख निरोध गामिनी प्रतिपदा - दुख के मूल "अविधा" के विनाश का उपाय ।

 

·         आष्टांगिक मार्ग – बौद्ध धर्म के अनुसार सांसारिक दुखों से मुक्ति हेतु आष्टांगिक मार्ग एक प्रमुख उपाय है। इसमें मुक्ति हेतु निम्न उपाय बताये गए हैं -

1). सम्यक दृष्टि - वस्तु का वास्तविक ज्ञान ।

2). सम्यक संकल्प - अप्रिय वचनों का त्याग ।

3 ) सम्यक वाणी - राग , द्वेष , हिंसा से मुक्ति के विचार  

4). सम्यक कर्मान्त - दान, दया, सत्य, अहिंसा, सत्कर्मों का अनुसरण।

5). सम्यक आजीव - सदाचार के नियमों को पालन।

6). सम्यक व्यायाम - विवेकपूर्ण प्रयत्न ।

7). सम्यक स्मृति - मिथ्या धारणाओ का परित्याग ।

8). सम्यक समाधि - मन व चित्त में की एकाग्रता ।

बुद्ध के अनुसार इन अष्टांगिक मार्गों के पालन से मनुष्य की तृष्णा नष्ट हो जाती है और उसे निर्वाण की प्राप्ति होती है।

 

बौद्ध धर्म की विशेषता

बौद्ध धर्म ने पुरानी धारणाओं और मान्यताओं में परिवर्तन किया और भारतीय समाज को नई दिशा प्रदान की। इस धर्म की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं -

1. अनिश्वरवादी - बौद्ध धर्म मूलत: अनिश्वरवादी है, वास्तव में बुद्ध ने ईश्वर के स्थान पर मानव प्रतिष्ठा पर बल दिया ।

2. अनात्मवादी - बौद्ध धर्म अनात्मवादी  है, इसमें आत्मा की परिकल्पना नहीं की गई है यही पुनर्जन्म में विश्वास करता है ।

3. वर्ण व्यवस्था एवं जाति प्रथा का विरोध - बौद्ध धर्म में वर्ण व्यवस्था एवं जाति प्रथा का विरोध किया गया है क्योंकि बौद्ध संघ का दरवाजा हर जाति के लिए खुला था वहां स्त्रियों को भी संघ में प्रवेश का अधिकार प्राप्त था।

4. अनुसावन - संघ की सभा में प्रस्ताव का पाठ होता था नीति पाठ को अनुसावन कहते थे सभा की वैध कार्यवाही के लिए न्यूनतम संख्या 20 थी ।

5. उपसंपदा - संघ में प्रविष्ट होने को "उपसंपदा" कहा जाता था ।

6. गणतंत्र प्रणाली - बौद्ध संघ का संगठन "गणतंत्र" प्रणाली पर आधारित था संघ में चोर,हत्यारो, ऋणी व्यक्तियों,राजा की सेवक,दास रोगी व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित था ।     

 

बुद्ध के जीवन से संबंधित बौद्ध धर्म के प्रतीक

संख्या

घटना

प्रतीक/ चिह्न

1.

जन्म

कमल तथा सांड

2.

गृह त्याग

घोड़ा

3.

ज्ञान

पीपल वृक्ष

4.

निर्वाण

पद चिन्ह

5.

मौत

स्तूप

 

बौद्ध संगीतिया

बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा एक प्रकार के समारोह का आयोजन किया जाता है जिसमे विभिन्न धार्मिक कार्य किए जाते हैं अर्थात् बौद्ध संगीति का अर्थ बौद्ध भिक्षुओं की एक सभा या सम्मेलन होता है, जिसका उद्देश्य भगवान बुद्ध की शिक्षाओं और सिद्धांतों को संकलित करना, उनका पाठ करना और उनमें उत्पन्न विवादों का समाधान करना था।

प्राचीन काल में बौद्ध धर्म समर्थकों द्वारा ऐसी कई संगीतियों का आयोजन किया गया था, जिनमें बुद्ध की शिक्षाओं को व्यवस्थित किया गया और अनुशासन स्थापित किया गया, जिससे विभिन्न बौद्ध संप्रदायों का जन्म और विकास भी हुआ।

·         प्रथम बौद्ध संगीति -

ü  समय - 483 ई. पू.

ü  स्थान -  सप्तऋणी गुफा ( राजगृह)

ü  शासनकाल - अजातशत्रु

ü  अध्यक्ष - महाकश्यप

ü  कार्य - बुद्ध के उपदेशों को सुत्तपिटक तथा विनयपिटक में अलग-अलग संकलित किया गया।

 

·         द्वितीय बौद्ध संगीति

ü  समय - 383 ई. पू.

ü  स्थान - वैशाली

ü  शासनकाल - कालाशोक

ü  अध्यक्ष - सब्बाकामी

ü  कार्य - भिक्षुओं में मतभेद के कारण स्थगित एवं महासंधिक में विभाजन

 

·         तृतीय बौद्ध संगीति

ü  समय - 251 ई. पू.

ü  स्थान - पाटलिपुत्र

ü  शासनकाल - अशोक

ü  अध्यक्ष - मोग्गलिपुत्त टिस 

ü  कृति - अभिधम्मपिटक का संकलन 

 

·         चौथा बौद्ध   संघ

ü  समय - प्रथम शताब्दी ई.

ü  स्थान - कुंडलवन (कश्मीर)

ü  शासक - कनिष्क

ü  अध्यक्ष - वसुमित्र (अश्वघोष उपाध्यक्ष )

ü  कार्य - ' विभासशास्त्र' टीका का संस्कृत में संकलन,

ü  बौद्ध संघ का ही  हीनयान और महायान संप्रदायों में विभाजन।

 

बौद्ध धर्म के संप्रदाय

बौद्ध धर्म में संप्रदायों को मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है -

 1). हीनयान -

Ø  हीनयान का अर्थ - निम्नमार्गी लोग

Ø  केंद्र - कौशांबी

Ø  बुद्ध के उपदेशों का कठोरता से पालन किया करते थे ।

Ø  सभी ग्रंथ पाली भाषा में ही लिखे गए।

Ø  इसे 'लघु चक्र' कहा जाता है ।

Ø  व्यक्तिगत निर्वाण पर बाल दिया गया यह रूढ़िवादी विचारधारा पर आधारित था। 

Ø  दक्षिण एशियाई देशों में इसका प्रचलन श्रीलंका, बर्मा(म्यांमार), जावा (इण्डोनेशियाई द्वीप) में था,  वे बुद्ध को महापुरुष मानते थे ।

Ø  हीनयान अनुयायी मूर्ति पूजा के विरोधी थे तथा संसार को दुखमय मानते थे ।

Ø  इनकी दो शाखाएं थी - 1) वैभाषिक ,                     2)   सैतांत्रिक

2). महायान -

Ø  महायान का अर्थ है - उत्कृष्ट मार्गी लोग

Ø  केंद्र – मथुरा

Ø  महायान अनुयायी उदार एवं परिवर्तनशील सुधारवादी संप्रदाय था ।

Ø  इस संप्रदाय मे "पाली" के स्थान पर "संस्कृत" भाषा का प्रयोग किया गया ।

Ø  ये  मूर्ति पूजा के समर्थक थे तथा बुद्ध को अवतार मानकर उनकी पूजा प्रारंभ की ।

Ø  ललित विस्तार ग्रंथ (जातक कथाएं) जिसमे बुद्ध के जीवन की गाथा है उसका प्रचार किया।

Ø  महायान अनुयायी सभी के लिए निर्वाण की कामना करते थे। 

Ø  पूर्वी एशियाई देशों जैसे :- चीन, तिब्बत, कोरिया, मंगोलिया, जापान आदि में इसका प्रचलन था। 

Ø  महायान में बोधिसत्व की संकल्पना है सबसे प्रतिष्ठित बोधिसत्व को लगभग देवता माना जाता है ।

o   जैसे - अवलोकितेश्वर (पदमपणी)  - काम का अवतार।  

o   मैत्रेय - भावी   बोधिसत्व

o   देवीतारा- प्रजा की अवतार।

Ø  ये लोग आशावादी दृष्टिकोण वाले थे ।

Ø  उत्तरार्ध में दो भागों में इसका विभाजन हुआ –

1. शुन्यवाद-  इसके प्रवर्तक नागार्जुन थे इन्हें भारत का आइंस्टीन भी कहा जाता है।

2. वितानवाद-  इसे योगाचार के नाम से जाना जाता है।

3). वज्रयान -

Ø  वज्रयान का जन्म - सातवीं शताब्दी में

Ø  केंद्र - पूर्वी भारत

Ø  वज्रयान तंत्र वाद से प्रभावित तंत्र-मंत्र, जादू-टोना पर बल देता था ।

Ø  बुद्ध की पत्नी के रूप में तारा की पूजा इस संप्रदाय के लोग करते है ।

Ø  इस संप्रदाय के कारण बौद्ध धर्म पतन की होना  प्रारंभ हो गया ।


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